Sunday 7 September 2014

गरीबी और स्त्री




महिला की सरेआम नीलामी 

Sunday,Jul 27,2014

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक गांव में महिला की सरेआम नीलामी की घटना मस्तिष्क झिंझोड़ने के साथ समूचे मानव समाज को शर्मसार कर देने वाली है। विश्वास नहीं होता, किंतु यह सच है। पचास वर्षीय एक पुरुष दस हजार रुपये में युवती को उसके पिता से खरीदता है। कुछ दिन साथ रखता है और जब उसे सूद-मुनाफे के साथ बेचने का ऐलान करता है तो खरीदारों का मजमा लग जाता है। फिर मांग और आपूर्ति के सिद्धांत के आधार पर पंद्रह हजार रुपये मुनाफे के साथ उसकी नीलामी की जाती है। क्या स्त्री उत्पाद है। कतई नहीं। फिर इस घटना को कैसे झुठलाएं। हालांकि, इसे झुठलाने की कोशिश हो रही है। राठ क्षेत्र के गांव जमखार में पुलिस और प्रशासन का अमला इसी कोशिश में जुटा है और कागज के चंद टुकड़ों के माध्यम से कारोबारी समझौते को शादी साबित कर नाक बचाने की कोशिश कर रहा है। महिला को सप्ताह भर पहले झारखंड के दुमका से खरीदकर लाया गया था। मामला खुलने के बाद पुलिस और प्रशासन खरीदारी के बाद स्टैम्प पेपर पर हुई लिखापढ़ी को अब शादी करार देने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि महिला ने कोई मुखर विरोध नहीं किया है इसलिए चंद दिनों में यह चर्चा शांत हो जाएगी लेकिन इसके सामाजिक और सरकारी पहलू पर बहस जरूरी है। दोनों के गर्भ में गरीबी है। जहां से यह महिला खरीदकर लायी गई उस पिछड़े इलाके में गरीबी इस कदर हावी है कि कई बार पिता बेटी की शादी नहीं कर पाता। जहां वह खरीदकर लायी गई वहां की पथरीली जमीन पर गरीबी इतनी हावी है कि वहां कोई बेटी ब्याहना नहीं चाहता। इसलिए खरीद फरोख्त कर रिश्ते बनाने का यह कारोबार चलता है। दुर्भाग्य यह है कि बुंदेलखंड को इस विडंबना से मुक्ति दिलाने के बजाय सरकारी अमला सच्चाई ढांपने में ज्यादा यकीन रखता है। इस तरह की शर्मनाक घटनाएं तभी रुक सकती हैं जब सच्चाई का सामना किया जाए और क्षेत्र से गरीबी दूर हो। गरीबी तभी दूर हो सकती है जब सरकारें इच्छाशक्ति के साथ योजनाएं बनाएं और उन पर अमल कराएं। शर्मनाक है कि सरकारें अल्पसंख्यक, गरीब तबके की कन्याओं की शादी के लिए जितना अनुदान देती हैं उतनी ही धनराशि में खरीद फरोख्त हो जाती है। बुंदेलखंड में यह सिलसिला तोड़ना होगा। डर है कि नीलामी कहीं परंपरा न बन जाए। इससे मुक्ति सामाजिक संवेदना और सरकारी संजीदगी से ही संभव है।
[स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश]
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